यूं तो चीन और पाकिस्तान भारत की तरक्की से हमेशा जलते रहता है। इसके बावजूद भारत मजबूती के साथ हर क्षेत्र में विकास को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ता है। चीन जहां विस्तारवाद की नीति पर चलता है और पाकिस्तान को भारत के विरूद्ध भड़काता है। वहीं भारत शांति और अमन का पैगाम लिए हर एक देश के साथ अपने बेहतर संबंधों को स्थापित करते हुए विकासवाद की नीति पर आगे बढ़ता है। आतंकवाद को संरक्षण देने के लिए पाक को वैश्विक मंच पर भारत हमेशा घेरते रहता है। और आतंकवाद से होने वाले नुकसान को दुनिया के समक्ष रखता हैं। वहीं पाकिस्तान अपनी कश्मीर के पुराने राग का रोना रोता रहता है। भारत अलग-अलग देशों के साथ अलग-अलग मुद्दे पर डील करता रहता है जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को मिर्ची लगती रहती है। परंतु भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर एक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए विश्व गुरु की कतार में सबसे आगे हैं।
India Iran Chabahar port |
India Iran Chabahar port
चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेस्ती टर्मिनल के संचालन के लिए भारत और ईरान के बीच एक दीर्घकालिक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के मुताबिक चाबहार बंदरगाह भारत को 10 साल के लिए मिला है। और यह पहली दफा होगी जब कोई विदेशी बंदरगाह का काम भारत को मिलेगा। भारत हमेशा से ही अलग-अलग देशों के साथ अपने क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के लिए प्रयास करता है। सोशल मीडिया पर विदेश मंत्रालय द्वारा बताया गया कि इस अनुबंध से भारत का अफगानिस्तान, कैस्पियन सागर और मध्य एशियाई देशों के बीच भारत का क्षेत्रीय संपर्क बढ़ेगा। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर समझौता होने से अमेरिका जैसे बड़े देश को भी मिर्ची लगी है।
India Iran Chabahar port deal |
ग्वादर बंदरगाह जो कि India Iran Chabahar port से सिर्फ 172 किलोमीटर की दूरी पर है जिसको चीन और पाकिस्तान मिलकर विकसित कर रहे हैं। उनके लिए भारत और ईरान के बीच इस समझौते ने बेचैनी बढ़ा दी है। क्योंकि भारत के अनुसार चाबहार पोर्ट कम लागत और बेहतर संपर्क की वजह से अधिक आकर्षित रहेगा। इस बंदरगाह के विकसित होने के कारण भारत को अपना सामान बिना पाकिस्तान भेजे हुए अफगानिस्तान तक पहुंचने में आसानी हो जाएगी यानि कि पाकिस्तान को बाईपास करके भारत अपने सामान को मध्य एशियाई देशों और अफगानिस्तान तक आसानी से भेज पाएगा। चीन और पाकिस्तान को जोड़ने वाला ग्वादर बंदरगाह की वजह से भारत की चिंता बढ़ गई थी और इस बात का भी डर था की चीन जासूसी गतिविधियां भारत के खिलाफ रखेगा लेकिन भारत ने चाबहार पोर्ट के जरिए चीन और पाक को संदेश दे दिया कि हम भी किसी से कम नहीं है। और दुश्मनों का हर एक दाव का जवाब भारत के पास हैं।
India Iran Chabahar port: Indian Foreign Minister S.Jayashankar |
काफी लंबे समय से लंबित (लगभग दो दशक) India Iran Chabahar port चाबहार बंदरगाह को लेकर बात चल रही थी। इसकी शुरुआत अटल जी के सरकार में हुई थी लेकिन इसकी कामयाबी मोदी सरकार में मिली। अभी हाल के ईरान दौरे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे को प्रमुखता के साथ रखा। इस समझौता से अमेरिका की टेंशन बढ़ गई जिसने भविष्य में संभावित जोखिम का हवाला देते हुए इस बंदरगाह पर बैन लगाने की बात कह दिया। लेकिन भारत सरकार भी स्पष्ट विदेश नीति रखते हुए बिना किसी भी दबाव के अपना डील करता है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि ईरान अमेरिका के लिए प्रतिबंधित देश है और कोई भी देश ईरान के साथ व्यापारी समझौता करेगा उसका अमेरिका विरोध करेगा क्योंकि उसमें संभावित जोखिम का डर है।
2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी जब मैं 2016 में ईरान की यात्रा पर गए थे तभी भारत,ईरान और अफगानिस्तान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गलियारा स्थापित करने के लिए त्रिपक्षीय समझौता पर हस्ताक्षर किया गया था। वर्ष 2018 में तत्कालीन ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी भी दिल्ली आए थे तो चरबाहर के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई थी।
भारत की कंपनी इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के मैरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन के बीच यह समझौता, भारत के जलमार्ग राज्य मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और ईरान के शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश की मौजूदगी में हुई। आईपीजीएल इस बंदरगाह को विकास करने में लगभग 12 करोड़ डॉलर का इन्वेस्ट करेगा। करीब 21 साल की कोशिश के बाद भारत को यह इस करार में सफलता मिली है जिसने चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा के रखा हैं।